मेरे सुनहरे अतीत
मेरे अतीत ! मेरे प्यारे सुनहरे अतीत !
बोलो ! मैं तुम्हें कैसे भूल जाऊं ? कैसे ?
जब जब वर्तमान मेरे कंठ से हलाहल उतारे ,
जब जब मेरी राहों में वह कांटे बिछाए ,
जब जब आजादी को मेरे अरमानों के पंख फड़फड़ाए ,
जब जब इस घुटन से मेरे श्वास अवरुद्ध हो जाए ,
मुझे तुम्हारी याद हमेशा आती रहेगी मरते दम तक !
मैं तुमसे मुक्त हो जाऊं भला कैसे ? प्रिय!!
जब तक तुम सुनहरा भविष्य बनकर ,
मुझे बंधन मुक्त नहीं कर देते मेरे दुखों से । तब तक !
हां ! तब तक मुझे तुम्हारी याद हमेशा आएगी ।
मैं तुम्हें कैसे भूल जाऊं ? कैसे ?
अनु