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27 Oct 2021 · 1 min read

मेरे साथ चलो

काटों भरा है सफ़र मेरे साथ चलो
ना जाने कब हो गम की सहर, मेरे साथ चलो
मैं अकेले भटक ना जाऊं कही
अंधेरी है डगर, मेरे साथ चलो

चारो तरफ मेरे सिर्फ दर्द के सन्नाटे है
दूर तक देख कर उदास लौटी नज़र, मेरे साथ चलो
अंधेरी है डगर ,मेरे साथ चलो

तेरे पथ में तेरे हमराह है और भी
मैं जानती हूं मगर,मेरे साथ चलो
अंधेरी है डगर , मेरे साथ चलो

है तुझको नसीब सपनो का बसेरा
मैं मुसाफ़िर हूं उम्र भर , मेरे साथ चलो
अंधेरी है डगर , मेरे साथ चलो

प्रज्ञा गोयल ©®

Language: Hindi
245 Views
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