मेरे साँवरे तुम
मैं टूटा हुआ हूँ, मैं बिखरा हुआ हूँ,
मुझे अब संभालो, मेरे साँवरे तुम.
भंवर मे मैं देखो, धसा जा रहा हूँ,
यहाँ से निकालो, मेरे साँवरे तुम.
मैं दीपक हूँ देखो, बुझा जा रहा हूँ,
मेरी लौ बचालो, मेरे साँवरे तुम.
जमाने का मैं तो, सताया हुआ हूँ,
शरण मे लगा लो, मेरे साँवरे तुम.
©निशान्त माधव