संसार मेरे सपनों का
संसार मेरे सपनों का कैसा हो
मानव में मानवता रहे ऐसा हो
बना रहे मानव में सद् व्यवहार
सदा रहे संवेदनाओं का भंडार
हर पल रहें करने सेवा को तैयार
बने रहें सदा एक दूसरे के मददगार
काम क्रोध मद लोभ दंभ द्वेष
दूर हो जाएं दुर्गुण , न रहे शेष
सभी रहें सदैव सुख दुख में साथ
ओम् कभी न छोड़ें एक दूसरे का हाथ
ओमप्रकाश भारती ओम्
बालाघाट मध्यप्रदेश