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27 May 2023 · 1 min read

मेरे वेदन पुकार से

मेरे वेदन पुकार से,
गूंजेगा, ऊँचा तेरा भवन विशाल ।

शोभित है दुखों की माला
इन्हें पहन मुझमें शोभा कैसी,
छुआ है हर पहर तुम्हारे बिन
यह महसूस कर
आया हूँ आगोश में तुम्हारे।
कर रहे नमन
रहमत की हर दर को
ढूंढ रही आँखें,
जिन्हें विपदाओं में अनेक ही,
बोझ जितने हों मेरे कंधों से
उतार रख दूँ, तुम पर ही
करूँ न्योछावर कदमों में सारे
रहकर आगोश में तुम्हारे ।

पुकारता बढूं,
आगे हाथ बढ़ाये
पहनाने तुम्हें, अपने कष्टों का हार
सांसे जपती रही
जीव्हा सूखती गयी
स्मरण होता रहा
तुम्हारा ही नाम।
मेरी मुक वाणी से
सहज यह प्रार्थना मेरी,
स्वीकारे सुनेगी ? तुम्हारे मुरादों की थाल,
बैर – रोग – ब्याधि सब भय,
से तुम करो मुझे निहाल।

मेरे वेदन पुकार से,
गूँजेगा, ऊँचा तेरा भवन विशाल ।

Language: Hindi
116 Views
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