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23 Nov 2018 · 1 min read

मेरी कविता

मैंने हँसते हँसते ज़िन्दगी से पूछा हैं,
ये क्या हों रहा हैं….?
ज़िन्दगी से मुझे बहुत सुंदर जवाब मिला,
दिल पर हाथ रख कर मैंने खुद ज़िन्दगी से कहाँ?
कहीं जीत बाकि हैं,
कहीं हार बाकि हैं,
अभी तो ज़िन्दगी का सार बाकि हैं….!

Language: Hindi
1 Like · 248 Views
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