“मेरे वतन”
ये नीर सुनहरी सी माटी
ये भोर सुहाने से मौसम
ये सोंधी सोंधी सी वादी
ये चँचल चँचल मस्त पवन
कोस कोस यहाँ बदले पानी
कोस कोस यहाँ बदले वानी
बहती उज्ज्वल गंगा की धारा
हिमालय पर्वत पासबाँ हमारा
यहाँ पग पग दरिया मिलते हैं
खेतों में चमन से खिलतें हैं
कभी गर्म हवा कभी सर्द हवा
कभी नर्म हवा कभी ज़र्द हवा
कभी पतझड़ में गिरते हैं पाते
रिमझिम रिमझिम सी बरसातें
टिम टिमटिमाती तारों की रातें
कभी लगता है दिन मनभावन
जब आता है फुहारों का सावन
ऐसा है दमकता मेरा वतन
ऐसा है चमकता मेरा वतन
है सबसे जुदा तू ओ मेरे वतन
मेरी मातृभूमि मेरा तन मन है
मेरा सब कुछ तुझपे अर्पन है
नतमस्तक हूँ तेरे ओ मेरे वतन
ओ मेरे वतन ओ मेरे वतन
ओ मेरे वतन ओ मेरे वतन
ओ मेरे वतन ओ मेरे वतन
ओ मेरे वतन ओ मेरे वतन
___अजय “अग्यार