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23 Jan 2022 · 1 min read

“ मेरे राम ”

जिस तरफ मेरी आँखे देखती है “मेरे राम” ही नज़र आते है ,
मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरिजाघर में वो ही नज़र आते है I

उसके बनाए शामियाने तले हम अपना आशियाना बनाते है ,
“जहाँ” में आसमान-समुंदर सब उसके सामने पनाह माँगते है,
इंसान तो क्या पशु-पंछी भी उससे जिन्दगी की भीख माँगते है,
गरूर के जाल में फंसकर हम उसके रहने का स्थान बताते है I

जिस तरफ मेरी आँखे देखती है “मेरे राम” ही नज़र आते है ,
मन्दिर, मस्जिद ,गुरुद्वारा ,गिरिजाघर में वो ही नज़र आते है I

“मेरे राम” के हरियाले गुलशन के “फूलों” को मत जलाओ,
उसकी सुंदर आँखों में आंसुओ की धाराओं को मत बहाओ,
उसकी चादर पहनकर किराए के मकानों को मत सजाओ,
इधर भी है राम, उधर भी राम अपने नैनो को मत भरमाओ I

जिस तरफ मेरी आँखे देखती है “मेरे राम” ही नज़र आते है ,
मन्दिर, मस्जिद,गुरुद्वारा,गिरिजाघर में वो ही नज़र आते है I

“मेरे राम” तेरे इस समुंदर को पार करके ही हमें है आगे जाना ,
क्या लेकर आया था जग में क्या लेकर जायेगा ?सब है बताना,
परदेशी लगा है बुनने में , परदेश में एक और नया ताना-बाना ,
किराये के मकान में रहते-२ उसे अपना पक्का ठिकाना जाना I

जिस तरफ मेरी आँखे देखती है “मेरे राम” ही नज़र आते है ,
“ राज ” गुरुजी की खूबसूरत आँखों में वो ही नज़र आते है I
**********************
देशराज “राज”
कानपुर

Language: Hindi
1579 Views
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