मेरे मोहल्ले की कहानी
मेरे मोहल्ले की कहानी
———————
मेरा मोहल्ला
कभी रुका कभी चला
शास्त्री जी नहीं रहे अब
बिक गया धर्म निवास
नहीं पता!कौन रहता पास,
बहुत दिन हुये पांच नं का
दरवाजा भी नहीं खुला।
मेरा मोहल्ला
गुड्डु की माँ बीमार
कभी खाँसी कभी बुखार
पूछा कभी हाल किसी का?
शर्मा जी की हुई दुर्घटना
अभी तक लंबे पड़े हुये हैं!
टूटा पाँव क्या हिला?
मेरा मोहल्ला
आ बैठें चल।
इसकी उसकी कौन कहे!
तेरी मेरी कौन सुने!
बाहर बैठें:धूप ही सेकें
सूरज की किरणें लपकें
फिर बातों का सिलसिला
मेरा मोहल्ला
कभी जीवंत था
रहता था खिला खिला
सूना सूना हुआ हर कोना
देखा कर अनदेखा हुआ अब
मिला,मिला:न मिला,न मिला
—————————-
राजेश’ललित’