मेरे मेहबूब मैंने तुझे कहा ना ढूंढा
मेरे मेहबूब मैंने तुझे कहा ना ढूंढा।
मैंने तुझे ख्वाबों में देखा फिर मुझे मैंने तुझे हकीकत में ढूंढना चाहा ।
मैंने तुझे दिन के उजाले में ढूंढा।
मैंने तुझे रात के अंधेरे में ढूंढा।
मैंने तुझे चांद में देखा ।
मैंने तुझे आसमान में जगमगाते सितारों में देखा ।
मेरे मेहबूब मैंने तुझे कहा ना ढूंढा ।
मैंने तुझे कलियों में ढूंढा ।
मैंने तुझे बागों में ढूंढा ।
मेरे महबूब मेने तुझे हर जगह ढूंढा।
पता नहीं अपनी परछाई में मुझे तेरा साया नजर आता है ।
चलता हूं अकेला लगता हैं ।।
जैसे तू मेरे साथ चल रहा है ।।
ना जाने दुनिया की भीड़ में कहां खोया हुआ है तू ,
एक दिन मिलेगी आशा लगाए बैठा हूं ।
अर्जन सिहंँ। अहिरवार
ग्राम जगमेरी तहसील बैरसिया जिला भोपाल
m. 81206 50431