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22 Aug 2019 · 1 min read

मेरे मुट्ठी में कुछ नही

मेरे मुट्ठी में कुछ नही

वो खाली है

शब्दों के सुंदर सपने हैं

जो ताली बजाने वाली है

चार सुंदर पंक्तियाँ लिख कर

सहेज कर मन के आले पे रखने वाली है

मेरे कंधों पे अपने ही सपने की लाश है

जो कट कर यहां वहां गिरने वाली है

कुछ तुझे मिलने वाली है

कुछ बेकार जाने वाली है

क्यूँ कि जनता भेड़ हुई है

जो शासक के स्वार्थ का ऊन

अपने खुद के पीठ पे ढोने वाली है

और शासक गिद्ध हुआ है

जो नोच-नोच के खाने वाला है

और वो…चार सुंदर पंक्तियाँ

मेरे मरने पे कंधा देने वाली है !

…सिद्धार्थ

Language: Hindi
2 Likes · 214 Views
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