मेरे मीत
मेरे मीत
मेरे हमनवा मुझसे रूठे हुए हैं,
पता नही क्यूँ वो मुझसे टूटे हुए हैं।
जब भी ख्यालात आते हैं उनके,
लगता है सितारा-ए-ख्वाब टूटे हुए हैं ।
थे वो जान-ए-जिगर,पर अजनबी बने बैठे हैं,
मिलेंगे कभी तो पूछूंगा,क्यूँ बेवजह ऐठे हैं ।
सांसें दो थे पर,महक एक थी,
जिस्म दो थे पर,जान एक थी,
अब तो जानने से भी इनकार करते हैं,
रूह तलक पहचानने से इनकार करते हैं ।
साँसों का अंत वायु का अंत नही ,
ये मोहब्बत है मेरी,कहानी मनगढ़ंत नही ।
पीछा करूंगा तेरा, जन्म-जन्मान्तर तक,
चाहे क्यूँ ना आना पड़े,अनंतानंत इस ज़मीं पर । ।
@TheChaand.