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12 Apr 2022 · 1 min read

मेरे मन को जाना तुमने

मेरे मन को जाना तुमने
——————————
मेरे मन को खूब जाना है तुमने,
मेरे मन को खूब पहचाना है तुमने।

क्या पसंद है, क्या नापसंद है मुझको,
दिल को खूब जाना है तुमने,
मेरे मन को खूब——

मेरा गुमसुम सा होना,
या आंखों में मोती से आंसु को,
खूब पढ़ा है तुमने।
मेरे मन को खूब——

मेरे पथ के कांटों को चुनकर,
मखमली चादर बिछा,
फूलों का पथ सजाया है तुमने।
मेरे मन को खूब—-

मेरे हृदय के गुलिस्तां को,
क ई रंगो के फूलों से,
खूबसूरत हार पहनाया है तुमने।
मेरे मन को खूब——

उर की वेदना को,मलहम लगाकर,
प्रेम की भावना से,
जख्मों को भरा है तुमने।
मेरे मन को खूब —–

जब कभी भी अकेली या तन्हा हो जाती हूं,
साया बनकर सदा,साथ दिया है तुमने।
मेरे मन को खूब——

जीवन की आपा -धापी में,
हम जुदा हो गए,
अब वाट जोहते हैं हम,
मिलने के इंतजार में।
मेरे मन को खूब——

सुषमा सिंह *उर्मि,,

Language: Hindi
1 Like · 118 Views
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