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11 Mar 2022 · 6 min read

मेरे मन का एक खाली कोना Part- 5

मेरे मन का एक खाली कोना
Part- 5

जब तक अधूरी बाते अपने आखरी छोर पर नही पहुंचती। मन में एक खलबली सी बनी रहती है। सिद्धेश भी कुछ ऐसा ही था, कुछ देर की बैठक में ही ऐसा अचानक से क्या हुआ, जो वह समझ नही पाया ।
सिद्धेश अपने रूम में चला तो गया पर कुछ देर पहले हुए उस व्यवहार या तरीके को समझ नहीं पा रहा था, वह खुद इस सोच में था की आखिर ऐसा क्या हुआ जिससे रिद्धि अचानक से उठकर चली गई , क्योंकि सिद्धेश ने रिद्धि की आंख में आए उस आँसू के कतरे को निकलते देख लिया था।
जबसे वह इसी सोच में था……..।
कुछ देर बाद आंटी खुद ही रिद्धि के कमरे में चली गई।
रिद्धि के सर पर हाथ फेरते हुए कहने लगी , रिद्धि बेटा आखिर कब तक वेदांत की याद को अपने से इस कदर लगाकर रखेगी।
इतना ज्यादा सही नही है। यादों को अपने से लगा कर रखे रखना ।
यादें जीने में साथ नही देती है । वह आपसे आपके खुशियों वाले पल को भी बदल देती हैं ।
तुझे सामना करना सीखना होगा रिद्धि, माना सिद्धेश को फोजी ड्रेस में देख कर तुझे वेदांत की याद आती है पर , इसका मतलब यह तो नहीं की हम खुद को उसी में डूबा दे। सबकी अपनी-अपनी ज़िंदगी होती है एक और सब उस ज़िंदगी को आगे बढ़ते हुए जीते है वजह की तलाश करते है , मुश्किलों से सामना करते है। ऐसे रोने से काम नहीं चलता बेटा।
रिद्धि आंटी की और अपनी नम आखों को पोंछते हुए मुझसे नहीं देखा जाता देर तक किसी फौजी को अपने आस-पास।
पर तुझे यह सीखना होगा रिद्धि और यह एक दिन की बात नहीं है पूरे 3 महीनों की बात है जब तक सिद्धेश यहां है , फिर कब तक तू ऐसे रहेगी आंटी ने रिद्धि के गालों को सहलाते हुए कहा।
सिद्धेश मुझसे 3 बार पूछ चूका है की मौसी क्या हुआ है मैंने कुछ गलत कह दिया क्या। उसे तुम्हारे बारे में कुछ नही पता है , और न ही में बताना ठीक समझती हूं।
यह कहकर आंटी ने रिद्धि को खाने के लिए चलने को कहा और साथ में एक प्यार से भरी हिदायत भी दी की अब से यह नहीं होना चाहिए और वहा से चली गई ।
कुछ देर यूँ ही खिड़की के पास खड़ी होकर आंटी की कही बात सोचने लगी और खुद को मजबूत बनने के लिए हिम्मत बांधने लगी ।
इतने में दीक्षा रिद्धि के कमरे में आकर उसे खाने के लिए चलने को कहने लगी ।
आईने के सामने जाकर रिद्धि ने अपने बालो को ठीक किया और आँखों से निकले आँसुओं के निशान को पोछने लगी पर देर तक बहे आँसुओं के निशान आसानी से कहा जाते है , वाॅशरूम में जाकर उसने अपने मुँह को धोया और दीक्षा के साथ खाने पर चल दी।
और हल्की सी मुस्कान के साथ खाना परोसने लगी कि
मौसी में जा रहा हूँ की आवाज आई।
आंटी ने सिद्धेश को कहा अरे कहाँ चल दिया खाना तो खा ले। नहीं मौसी मैंने बताया था न मेरे खाने की आप चिंता मत करो मेरे सब कुछ पहले से ही तय है कैंप पर।
ठीक है बाय… कल मिलते है।
यह कहकर सिद्धेश चला गया।
रिद्धि सिद्धेश को जाते देखती रही। खाना खाते-खाते रिद्धि ने आखिर वह सवाल पूछ ही लिया जो उसके मन में काफी समय से चल रहा था , आंटी आपने तो कहा था की उनको फैमिली से कोई नहीं आता है उनके यहाँ सभी ने रिश्ते तोड़ रखे है।
फिर अचानक से ये आपकी बहन का लड़का यहां….?
रिद्धि के इस सवाल पर आंटी कुछ देर खामोश रहने के बाद यह बात बताना ठीक समझा।
रिद्धि मेने तुमसे कोई बात नही छुपाई और यह भी सच है की यहां कोई नही आता है, और यह मेरी बड़ी बहन का लड़का है जिस बहन से में बहुत ज्यादा प्यार करती थी। और सिद्धेश बचपन से ही मेरे पास ही सबसे ज्यादा रहता था। जब मेने घरवालों की सहमति की बिना शादी की तब सभी ने मुझसे रिश्ते तोड़ दिए थे । कुछ दिनों तक सिद्धेश चुपके से मुझसे मिलने आ जाया करता था फिर अचानक से सिद्धेश का आना भी बंद हो गया। और हमने वहां का घर बेचकर इस शहर आ गए।
तब से आज तक 22 साल से कोई नही मिलने आया।
और आज सुबह जब इसे देखा तो पहचान नहीं पाई, पूछने पर पता चला की अपने काम के सिलसिले में यहां आना हुआ है तो , उसे याद आया की मैं भी यही रहती हूँ तो किसी तरह पता पूछ पूछ कर यहाँ आ गया। उसने मुझे सारी बातें बताई की वह मुझसे मिलने क्यू नही आया। मैने उसे यही रुकने के लिए मना लिया। काफी टाइम बाद कोई परिवार का यहां आया तो ।
यह सुनकर रिद्धि ने आंटी की चेहरे पर अपनों से मिलने की एक चमक देखी जो शायद रिद्धि ने आंटी के चेहरे पर अभी तक नही देखी थी।
हम इंसान अपने अंदर से कितना ही खाली होने पर किसी को खुश दिखाने के लिए अपने चेहरे पर एक नकली मुस्कान लिए फिरते हो।
पर जब किसी दिन उस खाली पन पर ना उम्मीदी की जगह कोई दस्तक होती है न, तो वह खुशी आपके चेहरे पर मुस्कान के साथ एक चमक बनकर निखरती है ।
जो मुझे आंटी की चेहरे पर साफ नजर आ रही थी।
घड़ी की ओर नजर गई तो देखा रात के 11:00 बज चुके थे।
आंटी को सोने का बोल रिद्धि अपने कमरे में चली गई ।
रिद्धि सिद्धेश के अंदर अपनी मौसी के प्रति प्रेम के बारे में सोचने लगी । की सिद्धेश अपनी मौसी से कितना प्रेम करता है की वह अपने घर वालो से छुप-छुप कर भी मिलने आता था और आज इतने सालों बाद भी वह अपनी मौसी से मिलने आ गया।
रिद्धि करवटें बदलती रही पर उसे नींद नहीं आई, वह उठकर छत पर चली गई ।
अपने मन में आ रहे आज शाम से सिद्धेश के विचार के विचार से दूर भागने के लिए वह आसमान में तारो को देख गुनगुनाने लगी कि अचानक से पीछे से किसी की आवाज आई कौन है…..?
अचानक से आई इस आवाज से रिद्धि सहम सी गई और डर के मारे नीचे जाने को हुई की रिद्धि आप इस वक्त यहाँ अपना नाम सुनकर रुक गई।
पीछे पलटकर देखा तो सिद्धेश खड़ा था।
बिना नजर मिलाएं , रिद्धि ने कहा , हाँ वो नींद नही आ रही थी तो यहाँ आ गई ।
आप कब आए रिद्धि ने पूछा ,
मैं थोड़ी देर पहले ही आया नींद नही आ रही थी तो छत पर आ गया। मुझे रात जागने की आदत है न ड्यूटी के वक्त इसीलिए ।
इतनी रात को पायल और गुनगुनाने की आवाज सुनी तो आवाज लगा दी। और हाँ आज शाम के लिए सॉरी मुझे नहीं पता आप किस बात से नाराज़ हो कर चली गई थी। मैंने मौसी से भी पूछा पर उन्होंने भी कुछ नहीं बताया।
सिद्धेश के इस व्यवहार को देखकर रिद्धि को अपने किए पर गुस्सा आया आखिर बिना बात के वह अचानक से उठकर क्यू चली गई थी ।
रिद्धि को असहज महसूस होते देख उसने रिद्धि को चॉकलेट खाने के लिए पूछा और चॉकलेट आगे कर दी। धीमी सी आवाज में थैंक्यू कहकर रिद्धि ने चॉकलेट ले ली । और दोनो चहल कदमी करने लगे ।
सिद्धेश रिद्धि को अपने और मौसी के बारे में बताने लगा।
रिद्धि सिद्धेश की बाते एक टक सुनती रही ,जैसे कोई अपना उसे अपने मन की बात बता रहा हो।
उसे बिलकुल अहसास नही हुआ की जिस शख्स से वह बात कर रही हे उसे अभी वह ठीक से जानती भी नही है वह उसकी बाते इतनी आराम से सुन रही है।
रिद्धि को सिद्धेश से इस कदर बात कर एक अपनत्व का अहसास हुआ उसे अच्छा लगा ।अपने आप को अब रिद्धि सहज महसूस कर रही थी ।
अपने मन में चल रहे सारे सवालों के जवाब उसे मिल गए थे , जिन सवालों ने शाम से उसके मन में खलबली मचा रखी थी ।
अचानक से सिद्धेश से रिद्धि के अतीत के बारे में जानने की इच्छा जताई । अचानक से आए इस सवाल पर रिद्धि थोड़ी सहम गई , खामोश हो कर एक सोच में डूब गईं। वो बाते जो आज तक आंटी के सिवा किसी और को नही पता थी ।
वो अतीत जिसकी यादों ने रिद्धि को कमजोर बना दिया ।
उस अतीत को अभी अभी मिले इस अजनबी व्यक्ति को रिद्धि के से बता दे ।
अतीत की सोच में डूबी रिद्धि ने आखिर कर फैसला कर ही लिया, उसे आंटी की कही बात याद आ गई, और रिद्धि ने ठान लिया की वह अपने अतीत को अपनी कमजोरी नहीं बनने देगी वह उससे सामना करेगी ।
अपने आने वाले कल को खुशी से जायेगी ।
और आखिर कार रिद्धि ने अपने अतीत की सारी बातें बता दी ।
……… बस यह था इस कहानी अंत ……..
धन्यवाद…!
प्रतीक जांगिड़
11-03-2022

Language: Hindi
427 Views
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