#मेरे मनमोहन साँवरे
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।। #मेरे मनमोहन साँवरे ।।
कोई तो बता दो मोहे
किधर गए – किधर गए
मेरे मनमोहन साँवरे
कोई तो बता दो मोहे . . . . .
इधर भी देखा उधर भी देखा
नहीं श्याम दिखते जिधर भी देखा
दुख रहे मेरे पाँव रे
कोई तो बता दो मोहे . . . . .
प्यासा मन मेरी प्यासी अंखियाँ
हुई मैं बावरी कहती सखियाँ
जाऊं मैं अब किस गाँव रे
कोई तो बता दो मोहे . . . . .
बछिया से पूछूँ गईया से पूछूँ
कैसे मैं जाके मईया से पूछूँ
गोपाल गया किस ठाँव रे
कोई तो बता दो मोहे . . . . .
पेड़ से पूछूँ पत्तियों से पूछूँ
फूलों से पूछूँ बगिया से पूछूँ
बंसीवाला बैठा किसकी छाँव रे
कोई तो बता दो मोहे . . . . .
चिड़िया से पूछूँ मोर से पूछूँ
सांझ से पूछूँ भोर से पूछूँ
चित्तचोर का मुझे नित चाव रे
कोई तो बता दो मोहे . . . . .
चंदा से पूछूँ तारों से पूछूँ
उपवन की मैं बहारों से पूछूँ
नंदकिशोर का न मिलता नाँव रे
कोई तो बता दो मोहे . . . . .
सूरज से जब पूछन लागी
बोला हंसके ओ बड़भागी
मन के भीतर झांक रे
मिल गए – मिल गए
मेरे मनमोहन साँवरे
मिल गए – मिल गए !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२