मेरे बाद
_कविता _
मेरे बाद
*अनिल शूर आज़ाद
जब मैं
इस दुनिया में
नहीं रहूंगा
कुछ ख़ास/ नही बदलेगा
बल्कि/कुछ नही बदलेगा
ऐसी ही रहेगी
यह दुनिया
रोज की तरह/डोर-बेल बजाकर
दूध दे जाएगा/दूध वाला
अख़बार वाला डालेगा
हिंदी, अंग्रेज़ी, पंजाबी और उर्दू के
छोटे-बड़े अख़बार/कई घरों में
(बहुत हुआ तो/ किसी अख़बार में
एक छोटी ख़बर/मेरे जाने की होगी)
साथ वाले पार्क में/मेरे जाने से बेख़बर
टहलते होंगे/ कुछ बच्चे, बूढ़े व जवान
एक तरफ़ लॉफ्टर-क्लब वाले/जोर से
रोज की तरह/ कहकहे लगा रहे होंगे
पार्क के बाहर/ मौजूद होगा
नारियल-पानी बेचने वाला भी
मेरे होने/ या नही होने का
उसपर कोई अंतर नही पड़ेगा
हां………अंतर अवश्य पड़ेगा
मेरे अपनों/और मेरी चीज़ों पर
मेरे चश्मे पर/असर पड़ेगा
जिसे नाक पर टिकाए/मैंने
एक पूरी उम्र/ गुज़ार दी
इसे पहनने वाला/अब
कोई भी नही होगा..
घर के हर भाग में फ़ैली/ मेरी प्रिय
किताबों व फाइलों पर असर पड़ेगा
जिनसे/ पत्नी सदैव खीझती रही
और मैं / यत्नपूर्वक सम्भालता रहा
पुराने गानों और गज़लों के
बरसों से संजोए कैसेट्स
जिन्हें देख-सुनकर/मेरे चेहरे पर
चमक लौट-लौटकर आती रही
बहुत थोड़े से/ मेरे नजदीकी मित्र
जिनसे मुझे/भरपूर अपनत्व मिला
मेरी/ हल्की रचनाओं पर भी
जो/ मेरा हौंसला बढ़ाते रहे
इन पर/कुछ तो असर पड़ेगा
जिन्हें ज़हन में रखकर
मैं/ताउम्र लिखता रहा
पता नहीँ/वे कभी जानेंगे भी या नही
हां.. मेरे कर्जदाता-बैंक की
चिन्ताएं/अवश्य बढ़ जाएंगी
और..और..
बाकी बहुत कुछ/वही रहेगा
रोज की तरह….