मेरे प्यारे देश में_____ कविता
कमी नहीं है देने वालों की,
मेरे प्यारे देश में।
संस्कृति सभ्यता बिखरी पड़ी है,
अपने तो परिवेश में।।
मांगा दुनिया ने ज्ञान चाहिए,
बोले हम तो यहां आइए।
किरणे ज्ञान की फैलाई,
कोने कोने विदेश में।।
धरती को हम माता कहते,
धर्म सभी तो साथ में रहते।
मिल बांट के खुशियां लूटे,
कभी न रहते क्लेश में।।
देव भूमि है कर्म भूमि है,
दोनों का हम मान करें।
सबसे आगे कदम हमारे,
दुनिया की रेस में।।
“सर्वे भवंतु सुखिनः”
मूल मंत्र हमारा है।
आव्हान “विश्व शांति” का करते,
आते कभी न तेश में।।
हे “अनुनय” की पुकार,
जीवन का यही सार।
मानो जानो दुनिया वालों,
रक्खा क्या है द्वेष में।।
राजेश व्यास अनुनय