मेरे पूर्वज मेरी शान
आज सुना रहा हूँ मैं
अपने पूर्वजों का सम्मान गान
जिनका नाम लेना
श्राद्ध कर्म में सपिंडीकरण का भी है विधान।
तो सुनें मेरे पूर्वजों का आख्यान:-
जहाँ जन्मे थे मेरे पूर्वज
वह धरा है सिंहवाड़ा गाम
मेरे पुत्र से सात पीढ़ी उपर तक के लेता हूँ नाम।
मुल खडौड़े-भौर और गोत्र है शांडिल्य
नाम गोपीदत का-
जो कृष्णदत्त की रखकर नींव कहीं अनंत में हो गए गुम।
मोती- कृष्ण के हुए पाँच रत्न
मेरे पूर्वज हरिनन्दन थे चौथे रत्न
हरिनन्दन ने करवाया कई मंदिरों का निर्माण
इतिहास में दर्ज करा गए अपना नाम।
बौबी – हरिनन्दन के थे तीन लाल
मेरे पूर्वज सूर्यनन्दन थे उनके पहले लाल
सूर्यनन्दन अंग्रेजी राज में रहे विधायक
अपने गाँव में बनवाया प्रखंड मुख्यालय
कराया पक्की सड़क का निर्माण।
कुमदा- सूर्यनन्दन की हुई छ: सन्तान
सत्यभामा, शारदानन्दन, शान्ति, शकुन, अपर्णा और इंदिरा हैं जिनके नाम,
इन सबके घर बसा कर
वो स्वर्गलोक को चले गये।
मेरे पिता शारदा नन्दन
जिन्होने एक ट्रस्ट बनवाया
अपने गावँ के नागरिकों को दिलाया न्याय
कल्याणी-शारदा नन्दन की पाँच हुई सन्तान
जिनसे हराभरा है उपवन सा परिवार
अर्चना, बन्दना, पवन, आराधना और साधना से सुर वीणा के तार छेड़कर शारदा नन्दन हम लोगो को छोड़ गये।
मैं हूँ पवन
कल्याणी- शारदा के दहलीज पर टँगी आस का एहसास हूँ
माँ का दुलार हूँ,
वक्त का पहरेदार हूँ
सिंहवाड़ा ही है मेरी पहचान।
ऐसी अलख जगाऊँ मैथिली की चहुँओर
जो न रुके कभी न झुके।
ऋतुप्रिया- पवन के भोर की ऊषा है वैष्णवी और वैभव,
अपने कुल के धड़क की आस है वैभव।
चमके जो सूर्य की तरह
ऐसा इंसान हो
भगवान से यही प्रार्थना है
कि आगे चल कर यही उसकी पहचान हो।
सतत इन आंखों में और मेरे भावनाओं के मध्य
बसे रहेगें ये मेरे पूर्वज और वंशज।
प्रस्तुति:-
पवन ठाकुर “बमबम”
गुरुग्राम (कोरोना काल LD-4)
31.05.2020