मेरे पिता
मेरे पिता थे हृदय विशाल,
वे मुझ पर प्यार लुटाते थे।
कर संकू ना वर्णन शब्दो में,
वे देव तुल्य पिता कहलाते थे।।
मेरे पिता प्यार के सागर थे,
उनके आगे सब सूना था।
ले ले ब्लाइयां मेरी उन्होंने,
सपनो का संसार बुना था।।
मनुहार भरा था उनका स्नेह,
मेरा जन्म सफल कर देता था।
उस स्नेह की पावन धारा ही,
खुशियों से संसार भर देता था।।
अपने कंधो पर मुझे चढ़ाकर,
वे अति परम दुलार दिखाते थे।
अपनी बाहों में लेकर वे मुझे,
कभी कभी हवा में लहराते थे।।
जब मैं 20 जनवरी को जन्मी थी,
कमरे के बाहर चक्कर लगाते थे।
हो गया जब जन्म उस दिन मेरा,
मेरे मस्तक को होठों से छूते थे।।
उच्च शिक्षा दी थी मुझे उन्होंने,
उनको आज भी याद करती हूं।
बने पिता मेरे वे हर जन्म में,
प्रभु से ऐसी प्रार्थना मै करती हूं।।
कैसे भूल जाऊं उस पिता को,
जिसने पूरे जीवन लाड लड़ाया था
रुठ जाती थी जब कभी मै,
उन्होंने बार बार मुझे मनाया था।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम