मेरे पिता
मेरे पिता
भोर की नींद को त्याग
एक कप चाय को सुड़क
अखबार बांटते मेरे पिता
उनके साइकिल चलाने से
हमारा घर खर्च चलता था
वह मुझे जगाते पढ़ने बैठा कर
निकल पड़ते अखबार के बंडल के साथ
सर्दी गर्मी वर्षा ऋतु अखबार कभी नहीं रुकता
नहीं रुकते साईकिल पर मेरे पिता के पैर
मेहनत पिता से और धेर्य माँ से सीखा
अखबार बाँटने वाले तुम को देखता हूँ
आज भी जब ऑफिस में अखबार पढ़ता हूँ
तो उसमें छुपा पिता का प्यार दिखाई देता है
इससे मिली आमदनी मां का घर चलाना
सब कुछ मुझे बहुत याद आता है