मेरे पिता ने मुझे कर्मठ बनाया !
मेरे पिता ने मुझे कर्मठ बनाया !
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मेरे पिता ने मुझे कर्मठ बनाया !
कदम-कदम पर चलना सिखाया !
मैंने भी बिना कुछ सोचे-समझे ही ,
पिता के हर काम में ही हाथ बॅंटाया !!
मेरे पिताजी खुद भी बड़े कर्मठ थे !
उन्होंने सारा गुण मुझे भी सिखाया !
जितने भी काम को अंज़ाम वे देते थे….
उन सभी कार्यों में हाथ बॅंटाना सिखाया !
मेरे पिता ने मुझे बहुत ही कर्मठ बनाया !!
जब कभी वे बागवानी किया करते थे !
उस वक्त हम बहुत छोटे हुआ करते थे !
सहयोग हेतु वे मुझे ही पुकारा करते थे !
हम भी नहीं कभी उन्हें नकारा करते थे !
चाहे कार्य में देर शाम हो जाया करती थी !
फिर भी सारे कार्य हम पूरे किया करते थे !!
जब कभी पिताजी बाज़ार जाया करते थे !
साथ में वे सदैव मुझे ही ले जाया करते थे !
कोई भी खाद्य सामग्री जब वे क्रय करते थे !
तभी वे खरीददारी मुझे भी सिखाया करते थे !
रोटी-चावल-दाल के महत्व भी बताया करते थे !
कृषकों के मेहनत पर ध्यान भी दिलाया करते थे !
दृष्टांत से मुझे कर्मठता का पाठ पढ़ाया करते थे !
सचमुच, मेरे पिता ने मुझे बहुत ही कर्मठ बनाया !!
जब सारे सदस्य गहरी नींद के आगोश़ में रहते थे !
तो वे शांत माहौल में बचे कार्य सलटाया करते थे !
पर देर रात तक मुझे भी पढ़ने की आदत होती थी !
पिताजी में कार्य के प्रति समर्पण हम देखा करते थे !
फलत: मेहनत की सीख मुझे भी मिल जाया करते थे !!
पिताजी जब भी ऑफिस संबंधी कुछ कार्य करते थे !
कार्य-निष्पादन में वे काफ़ी एकाग्रचित्त रहा करते थे !
कार्यबोझ से वे तनिक भी ना विचलित हुआ करते थे !
चेहरे पे शिकन के नामोनिशान तक ना हुआ करते थे !
बेशक,पिताजी मेरे कर्मठता की मिसाल हुआ करते थे!
सचमुच, मेरे पिताजी ने मुझे बहुत ही कर्मठ बनाया !!
कर्मठता से ही मैंने दुनिया में इक छोटी पहचान बनाया !
संकट की घड़ी में पिता के बताए मार्ग पर ही चल पाया !
जिसके बलबूते हर उलझन से मैं निपटता चला आया !
और आज एक सुखद परिस्थिति में खुद को खड़ा पाया !
सचमुच,मेरे पूज्य पिताजी ने मुझे बहुत ही कर्मठ बनाया !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 19-08-2021.
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