मेरे पापा
मैं अपने पापा के गुणों को
पूरा लिख सकूँ,
वह कलम कहाँ से लाऊँ।
कलम अगर मिल भी जाए तो,
मेरे पापा के गुणों का पूरा अर्थ लिख सके,
वह शब्द कहाँ से लाऊँ।
फिर भी दिल ने चाहा है लिखना,
थोड़ा-बहुत अंश लिख रही हूँ।
जिसे मै अपने पापा के ,
चरणों मे समर्पित कर रही हूँ।
मेरे पापा मेरे लिए है
ईश्वर का एक रूप ।
पेशे से डॉक्टर हैं
इसलिए लोग उन्हें कहते हैं
ईश्वर का दूसरा स्वरूप ।
हम सबके लिए अभिमान हैं पापा
हम सबका स्वाभिमान है पापा
हम सबका आस्तित्व है पापा
हम सबका वजूद है पापा।
हमारे घर के विश्वास को
आत्मविश्वास में बदल देते हैं मेरे पापा,
कितना भी थककर आएँ
आते ही घर मे खुशियाँ
बिखेर देते हैं मेरे पापा।
घर की जरूरत को तो छोड़िए
आस-पास के लोगों की
जरूरते भी पूरा करते हैं मेरे पापा
जिंदादिली का दूसरा नाम हैं मेरे पापा।
हम सबके हिम्मत और हौसला हैं पापा।
आज जहाँ भी हम खड़े है,
उसके निर्माता हैं मेरे पापा।
हम सब का आधार है पापा।
बचपन तो बचपन,
आज भी हम सबका
ख्याल रखते हैं पापा,
आज भी हम सब के
मुसीबत के सामने ढाल बनकर
खड़े रहते हैं पापा।
हम सब के आँखो के सपनों को
धरातल पर रूप देने मे लगे रहते हैं पापा।
माँ हम सब के लिए धरती है
तो हम सबके लिए आसमान हैं पापा।
जिन्होनें हमेशा हम सब पर
प्यार और आशीर्वाद का बारिश किया,
वह बादल हैं मेरे पापा।
सारे रिश्तो की जान है पापा,
हम सब के लिए शान हैं पापा।
हम सब की इज्जत, शोहरत,
रूतबा और सम्मान हैं पापा।
ईश्वर द्वारा भेजे गए,
हम सब के लिए वरदान हैं पापा।
~अनामिका सिंह
नई दिल्ली