मेरे पापा
मैंने रब से ख्वाहिश की,
जिसे पूरा किया मेरे पापा ने,
मैंने चलने की कोशिश की,
मुझे रास्ता दिया मेरे पापा ने,
मैंने उड़ने की कोशिश की,
मुझे आसमाँ दिया मेरी पापा ने,
अपनी मर्ज़ी से मैं रह पाऊँ,
ऐसा जहाँ दिया मेरे पापा ने,
अब रब से आख़री ख्वाहिश,
वो हर खुशी दे मेरे पापा को,
जिसे मेरे लिए कुर्बान किया मेरे पापा ने।
-वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी