मेरे देश को क्या हो गया है..?
देश को क्या
हो गया है.?
हर जगह
शोर-हल्ला क्यूँ
मचा है .?
रोशनी क्यूँ
झुप रही है.?
न्याय की वेदी
क्यूँ झुक रही है .?
कानून ताला
बंद है
प्रसाशन का
आतंक भी बुलन्द है ।
चित्रकार ही कैनवास
को नीरस कर रहा है
देश का
क्या हो रहा है..
भाईचारा दफन
किया है आग में
सत्य कहना
साथ देना
चला गया , इतिहास में ।
सत्य का दम घोंटना
सरल हो गया
भीड़ बाला न्याय कर
अन्याय सरल हो गया है।
हर सड़क पर
खड़ा मजबूर है
जल रहा बेरोजगार
किसान , मजदूर है ।
रोजगार देने बाला ही
बेरोजगार हो गया है
मेरे देश को क्या
हो गया है….
वर्ण जाति धर्म
निष्ठुर हो रहा है
समाज का पहिया
पीछे हो रहा है।
हर एक खबर में
चासनी का मौज है ।
बढ़ रहा सीमा पर
दुश्मन बेख़ौफ़ है ।
दे रहे थे न्याय
वो हर हालात में
दिखा रहे थे सीना
ईमान के अहंकार में
आज ईमान ही
क्यूँ डिग रहा है
मेरे देश को
क्या हो गया है..
झूठ का व्यापार
आगे बढ़ रहा है
खाई में देश
और भी गहरा
गिर रहा है।
नफरत का डर
हर तरफ घिर रहा है
चील-गिद्धों का जाल
हर विरोध को निगल रहा ।
देश बन गया है रोम
आग में जल रहा है
नाच रहें है मोर
वंशी पर नीरो
नये राग रच रहा है ।
वेसुध होकर खड़ी है
माँ भारती
झंडा बुलंद कर
हर तरफ अन्याय
की हो रही है आरती ।
ये क्या हो
रहा है…?
मेरे देश को
क्या हो गया..???