मेरे देश की आत्म कथा
एक नारा बड़ा पृचिलित है।कि मेरा देश महान है! क्या वाकई देश महान है।जिस हमें गहन अध्ययन,गहन आत्म चिंतन करने की जरूरत है। आजकल हर इन्सान अपने आप को मास्टरमाइंड समझता है। लेकिन वह लकीर का फकीर होता है। उसके पास कोई विचारातमक शक्ति नहीं है।नाही कोई शोधात्मक पढ़ाई , फिर भी वह इतिहास दोहराने का काम करता है। देश में बुद्धि जीवियों का भण्डार का भरा पड़ा है।यह एक अतीत की बात हो गई है।कहिए हमारा इतिहास गवाह है।कि हमारे देश में एक से एक महान व्यक्ति पैदा हुए थे।पर! हमें आज के लोगों की मानसिकता और व्यवहार पर अध्ययन करने की जरूरत है।कारण? कि हम एक दूसरे पर दोषारोपण करते रहते हैं।उसे सुधारने की बात एक बहस बनकर रह जाती है। सुधार के लिए बहुत सारे कानून बनाकर एक ताक में रखकर बन्द कर रख दिए जाते हैं। फिर राज नेता अपनी अपनी सुविधा के अनुसार उसे अपने हितों में डाल कर उसका भर पूर दोहन करते रहते हैं।