“मेरे दुश्मन”
ये दुश्मनी मुझे हार को भी जीतने को मजबूर कर जाती है।
झूठ हैं कहते सब तेरी हर नुकीली बात सच कह जाती है।
तू ईर्ष्या में ही सही मेरे अवगुणों से मेरा परिचय करवाता है।
दोस्त हौसला देते है परीक्षा में पर तू साहस दुगना बढा़ता है।
तेरी नजर रहती है मेरे हर एक कमजोर नस हर एक डगर ।
जाउं जहाँ कही भी तू रहता हैं मेरी परछाई की तरह उधर।
भगवान करे मेरी जिंदगी में एक दिन वो भी जरुर आए।
दुश्मनी मिटाकर सारी दोस्ती की तरफ ये हाथ बढ़ जाए।
-शशि “मंजुलाहृदय”