मेरे दिल में मोहब्बत आज भी है
मेरे दिल में मोहब्बत आज भी है
इसीलिए ही मैं उदास रहता हूं…।
तुम मेरी बात झूठ समझते हो…,
मैं जो भी कहता हूं सच कहता हूं
जो भी है फैसला, उसकी मर्जी
फैसले पर नहीं कोई मेरी अर्जी
इश्क के दर्द की कोई दवा नहीं
हर दर्द हंसते-हंसते ही सहता हूं
ये मौसम भी अलग राहों पर हैं
और हवा अपने रुख में अलग है
मजबूरियां बहा ले जाती है साथ
मैं अब हवा के साथ ही बहता हूं
बहुत कुछ बोलने को है मेरे पास
मैं भी तो खुलकर बोल सकता हूं
सभी हकीकत के राज है मेरे पास
लेकिन आजकल मैं चुप रहता हूं
✍️कवि दीपक सरल