मेरे दिल को
मेरे दिल को आज फिर से आज़माकर देखिए
चंद लम्हों के लिए इसको सता कर देखिए
हर हक़ीक़त को यहाँ अब मुँह छिपाकर देखिए
धूप को भी धूप का चश्मा लगाकर देखिए
क्या पता फिर से पकड़ लें धड़कनें रफ़्तार को
इक नया एहसास दिल में फिर जगाकर देखिए
कोई भी दुश्मन नहीं है कोई भी अपना नहीं
हर किसी को दूर ही से मुस्कुराकर देखिए
भाग जाते हैं जो तुमसे मुँह चुराकर आए दिन
एक दिन उनसे कभी तुम मुँह चुराकर देखिए
… शिवकुमार बिलगरामी