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26 May 2023 · 1 min read

मेरे जैसा दिन भी टूटा

मेरे जैसा
दिन भी टूटा . I

शाम हुई
ज्यों धुँधली आशा I
ढूँढ़ ढूँढ कर
नव परिभाषा ।
स्वयं स्वयं के मन की कोई,
आज धुँए में धँसी निराशा ।
लगा आईना हाथ से छूटा ।

बूढ़ी होती
दुःखी दुपहरी ,
अस्ताचल
सविता को देखी l
लाठी टेके सन्ध्या आती,
लगे बुढ़ापा रात सरीखी ।
रजनी को ज्यों तम ने लूटा I

भोर शोर के
सेतु के जैसे ,
आशा रश्मि
फूट ही आई।
बाँधे रहती कब तक कैसे,
अरुण ने रथ जब
तेज चलाई।
जीवन से दिन रहा न रूठा . !

Language: Hindi
1 Like · 57 Views
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