मेरे जीवन में गुरु का दर्जा ईश्वर के समान है। “गुरु बिन भव न
मेरे जीवन में गुरु का दर्जा ईश्वर के समान है। “गुरु बिन भव निधि तरइ न कोई, जौ बिरंचि संकर सम होई।” अर्थात भले ही कोई ब्रह्माजी और शंकर जी के समान क्यों न हो, किंतु बिना गुरु के भवसागर को पार नहीं कर सकता। अच्छे-बुरे की पहचान करना गुरु ही बताते हैं। हम आज जो भी हैं, गुरु के आशीष से ही हैं। ऐसे अपने गुरुओं को मैं बार-बार प्रणाम करती हूँ।
प्रभा राघव
पिता : श्री शेवेंद्र सिंह राघव
ग्रा. मुल्हैटा, पो. बहजोई,
तह. चंदौसी, जि. सम्भल
(उ.प्र.)