Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Apr 2023 · 1 min read

– मेरे जीवन की अभिनव अनुभूति –

– मेरे जीवन की अभिनव अनुभूति –

अपनो का छल उजगार हुआ तब,
पीड़ाओं से सामना हुआ जब,
विपदाओं ने घेरा था जब,
अपने हुए पराए थे तब,
संकटों के बादल घिर आए तब,
दोस्त काम ना आए थे जब,
दोस्त अपनी औकात बताए थे तब,
खुदगर्जी में सब नहाए थे तब,
कोई काम ना आए थे तब,
हुई मुझे मेरे जीवन की अभिनव अनुभूति,

भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –

Language: Hindi
93 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सिर्फ यह कमी थी मुझमें
सिर्फ यह कमी थी मुझमें
gurudeenverma198
पति
पति
लक्ष्मी सिंह
■ शर्मनाक हालात
■ शर्मनाक हालात
*प्रणय प्रभात*
शेरनी का डर
शेरनी का डर
Kumud Srivastava
स्वार्थ
स्वार्थ
Neeraj Agarwal
महाशक्तियों के संघर्ष से उत्पन्न संभावित परिस्थियों के पक्ष एवं विपक्ष में तर्कों का विश्लेषण
महाशक्तियों के संघर्ष से उत्पन्न संभावित परिस्थियों के पक्ष एवं विपक्ष में तर्कों का विश्लेषण
Shyam Sundar Subramanian
भीगे-भीगे मौसम में.....!!
भीगे-भीगे मौसम में.....!!
Kanchan Khanna
श्रृंगार
श्रृंगार
Neelam Sharma
माँ आजा ना - आजा ना आंगन मेरी
माँ आजा ना - आजा ना आंगन मेरी
Basant Bhagawan Roy
2901.*पूर्णिका*
2901.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*औपचारिकता*
*औपचारिकता*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अपने कदमों को बढ़ाती हूँ तो जल जाती हूँ
अपने कदमों को बढ़ाती हूँ तो जल जाती हूँ
SHAMA PARVEEN
मुक्तक
मुक्तक
गुमनाम 'बाबा'
मुस्कराओ तो फूलों की तरह
मुस्कराओ तो फूलों की तरह
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
आज का युद्ध, ख़ुद के ही विरुद्ध है
आज का युद्ध, ख़ुद के ही विरुद्ध है
Sonam Puneet Dubey
हमारा अस्तिव हमारे कर्म से होता है, किसी के नजरिए से नही.!!
हमारा अस्तिव हमारे कर्म से होता है, किसी के नजरिए से नही.!!
Jogendar singh
सच और झूँठ
सच और झूँठ
विजय कुमार अग्रवाल
पैसा बोलता है
पैसा बोलता है
Mukesh Kumar Sonkar
कुछ इस तरह टुटे है लोगो के नजरअंदाजगी से
कुछ इस तरह टुटे है लोगो के नजरअंदाजगी से
पूर्वार्थ
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस
Dr. Kishan tandon kranti
ख़ुद रंग सा है यूं मिजाज़ मेरा,
ख़ुद रंग सा है यूं मिजाज़ मेरा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
🥀✍अज्ञानी की 🥀
🥀✍अज्ञानी की 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
समसामायिक दोहे
समसामायिक दोहे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आक्रोश तेरे प्रेम का
आक्रोश तेरे प्रेम का
भरत कुमार सोलंकी
मिल जाये
मिल जाये
Dr fauzia Naseem shad
शिक्षक को शिक्षण करने दो
शिक्षक को शिक्षण करने दो
Sanjay Narayan
बुढ़ापे में अभी भी मजे लेता हूं (हास्य व्यंग)
बुढ़ापे में अभी भी मजे लेता हूं (हास्य व्यंग)
Ram Krishan Rastogi
ऋतु शरद
ऋतु शरद
Sandeep Pande
तुम आ जाते तो उम्मीद थी
तुम आ जाते तो उम्मीद थी
VINOD CHAUHAN
या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
Loading...