मेरे जज्बात
ढूंढते हैं सहारा नहीं मिलता
डूबते को किनारा नहीं मिलता
मिलते तो हैं बहुत से यहां पर
बस कोई हमारा ही नहीं मिलता
जुबानी केवल हमदर्दी न जताते
आदमी यूं बेबस नहीं मिलता
कहता तो बहुत है कहने वाला
सुनना जो है कहता नहीं मिलता
इंतजार जारी है
ड्योडी पर यूं ही
जलता दीया नहीं मिलता
डा. राजीव जैन “सागर”
torajeevjain@gmail.com