मेरे घर की छत से तेरे घर की छत
काश
मेरे घर की छत से
तेरे घर की छत दिखती और
मैं एक पंछी सी तो
कभी एक पतंग सी तो
कभी एक बादल सी तो
कभी एक बारिश की बूंद सी तो
कभी एक हवा के झोंके सी
तेरी छत पर उतर आती
या
चलो कभी खुद ही
थोड़ा सज संवरकर
पैदल चलकर
तेरे घर का दरवाजा
खटखटाकर
तुझसे मिलने चली
आती।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001