मेरे गुरु
मेरे गुरु
मेरे गुरुजी सबसे प्यारे
सबसे न्यारे
अधूरे ज्ञान को करते है पूरे
मान – सम्मान,स्वाभिमान में पूरे
समग्र ज्ञान का है भंडारण
समस्त समस्या का है करते निवारण
क्रियाकलाप बहुत कराते
उस पर अव्वल हम आ जाते
कविता सुनाते ,कहानी सुनाते
सभी विषय ओ हमें पढ़ाते
गुरु की महिमा अपार
शिष्यों के करे सपने साकार ।
समस्त गुरुओं का आभार
कृतज्ञता है सार।
रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
शिक्षक जिला दुर्ग