मेरे खयालों में तू जलवा गर है
मेरे खयालों में तू जलवा गर है।
तेरा नाम लब पर तो शामो सहर है।
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तेरे खयालों में रहते हैं हर दम।
आंखों में नींदे नहीं रात भर है।
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मैं डूब जाऊंगा आंखों में तेरी।
बहुत खूबसूरत तुम्हारी नजर है।
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तू रुखसत हुई थी मुझे छोड़कर जब।
तभी से तो मुश्किल हमारा सफर है।
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लिखेंगे मुहब्बत का अफसाना जो भी।
तू ही मेरी मंजिल तू ही रह गुज़र है।
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वो खुद धूप में रहकर देता है साया।
जो वालिद है,घर का पुराना शजर है।
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सुनो लोगों सच्चा वो मोमिन नही है।
अपने पड़ोसी से जो बे खबर है।
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मुफलिसी की रिदा तान कर सो गया है।
सगीर अब परीशां तो हर इक बशर है।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच