मेरे कुछ चुनिंदा मुक्तक(शायरी)
1
कुछ लोग जिंदा जलकर मर जाते हे !
और कुछ लोग जल जल कर भी जिन्दा रहते हे !!
हरसुख रायवडेरा
2
कहते हो इसलिये पत्थर दिल मुजे,
की पिघलता नहि हु में ?
खुश हूं फिर भी ऐ जालिमों ,तुम्हारी तरह जो बदलता भी नही हु में !!
हरसुख रायवडेरा
3
दुश्मनों को कम करने की दुआ क्या
जो माँगी,
कुछ जो मेरे अपने थे वही अचानक दूर हो गये !!
हरसुख रायवडेरा
4
न कोई मंजिल, ना कोई रास्ता यूँही
भटकना अच्छा लगता है ।
भटकते भटकते युँही किसी अनजान मंजिल पे पहुंचना बहोत अच्छा लगता है !!
हरसुख रायवडेरा
5
नासमझो के बीच मे समझदारी दिखाने को भी, नासमझदारी ही कहते है !!
हरसुख रायवडेरा
6
महोब्बत उसे कहते हे ,
जब चोट उनको लगती है,
और रोना हमेंआता है !!
हरसुख रायवडेरा