मेरे कफन को रहने दे बेदाग मेरी जिंदगी
लगने दे इस दिल में चाहे आग मेरी जिंदगी
मेरे कफन को तूँ रहने दे बेदाग मेरी जिंदगी
जिंदगी में अब रहा है क्या सुनाने के लिए
मौत भी आ जाए तो मत भाग मेरी जिंदगी
अब जनाजा निकले मेरा तो भी कोई गम नहीं
होंगे खुश सुनके यही वो इस जहां में हम नहीं
जिंदगी में अब रहा है क्या मुस्कुराने के लिए
मिट गए अरमान और सब ख्वाब मेरी जिंदगी
बन गई थी एक हिस्सा ये जिंदगी संगीत का
याद आता है वो लिखना और गाना गीत का
जिंदगी में अब रहा क्या गुनगुनाने के लिए
हो चुका संगीत ही जब बर्बाद मेरी जिंदगी
अपना समझा था जिन्हें चल दिए मुंह मोड़ कर
गम में डूबा रहता है दिल महफिलों को छोड़कर
जिंदगी में अब रहा क्या दिल बहलाने के लिए
“V9द” बस तन्हाईयां है अब साथ मेरी जिंदगी
स्वरचित
V9द चौहान