मेरे अल्फ़ाज़
मेरे अल्फ़ाज़ कहते हैं
कि क्यों उदास रहता है!
कभी तू दूर रहता है,
कभी मजबूर लगता है।
सजी है मेरे हृदय में,
चाहत की हसीन महफिलें।
दिया हूँ प्रणय का आमंत्रण,
तो क्यों खामोश रहता है!
मेरे अल्फ़ाज़ कहते हैं,
कि क्यों उदास रहता है!
समुन्दर से गहरे दिल में,
तेरा घर बनाया है।
जिसको स्नेह,समर्पण और
शिद्दत से सजाया है।
तू मुझसे प्रेम करता है,
या है कोई लाचारी।
यदि ऐसी कोई बात है तो
क्यों न यार कहता है।
मेरे अल्फ़ाज़ कहते हैं,
कि क्यों उदास रहता है!
हिमालय से है जो ऊँचा,
समुन्दर से है जो गहरा।
वैसा मैं प्रीति करता हूँ,
तू ही बार-बार कहता है।
तेरे साथ जीने की और
तेरे साथ मरने की।
जो खाई थी हमने कसमें,
तू क्यों न याद करता है!
मेरे अल्फ़ाज़ कहते हैं,
कि क्यों उदास रहता है!
— सुनील कुमार