मेरे अधरों का राग बनो।
मेरे अधरों का राग बनो
कर दो कुसुमित जीवन उपवन
दे विहंस चपल चंचल चितवन
सौन्दर्य रूप विरचित तन मन
सुरभित मृदु मधुर पराग बनो
मेरे अधरों का राग बनो ।
यौवन अभिरंजित रंग नीर
मिट जाती अन्तस बसी पीर
मन देख तुम्हें होता अधीर
यूं ना मद मादक फाग बनो
मेरे अधरों का राग बनो ।
है कैसा ये सौन्दर्य बोध
कर सकता इस पर कौन शोध
क्षण भंगुर जीवन का प्रवाह
अनुभूति सुखद अनुराग बनो
मेरे अधरों का राग बनो ।
अनुराग दीक्षित