“मेरे अंदर के हिमनद को”
मेरे अंदर के हिमनद को,
तुम पिघला देते तो अच्छा होता।
इस श्वेत गरल काे ,
श्याम बनाते तो अच्छा होता।
इतनी जड़ता मेरे अंदर,
तुम निर्झर कर देते तो अच्छा होता ।
नीरज सी सूनी आँखों मे,
तुम दीप जला देते तो अच्छा होता।
तुम मेरे तिमिरयुक्त जीवन को ,
प्रीत ज्योत से भर देते तो अच्छा होता।
मेरे अंदर के हिमनद को,
तुम पिघला देते तो अच्छा होता।
©डा·निधि श्रीवास्तव “सरोद”