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20 May 2024 · 1 min read

मेरे अंतस मे बह गए

मेरे अंतस मे बह गए

आज इक मुलाकात हुई
समझ नहीं पाया
देखूँ कि बात करूँ
लगा सारे मौसम
इक साथ आ गए
सावन ,भादो, फागुन
सब ही मन मे घुल गए
इक साथ गुलमोहर ,पलाश, रातरानी
सब मेरे ऑगन मे महक गए
चाँदनी के समंदर
मेरे अंतस मे बह गए

Language: Hindi
103 Views
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