मेरे अंतस मे बह गए
मेरे अंतस मे बह गए
आज इक मुलाकात हुई
समझ नहीं पाया
देखूँ कि बात करूँ
लगा सारे मौसम
इक साथ आ गए
सावन ,भादो, फागुन
सब ही मन मे घुल गए
इक साथ गुलमोहर ,पलाश, रातरानी
सब मेरे ऑगन मे महक गए
चाँदनी के समंदर
मेरे अंतस मे बह गए
मेरे अंतस मे बह गए
आज इक मुलाकात हुई
समझ नहीं पाया
देखूँ कि बात करूँ
लगा सारे मौसम
इक साथ आ गए
सावन ,भादो, फागुन
सब ही मन मे घुल गए
इक साथ गुलमोहर ,पलाश, रातरानी
सब मेरे ऑगन मे महक गए
चाँदनी के समंदर
मेरे अंतस मे बह गए