– मेरी हिंदी मां मेरी ऊर्दू मौसी –
– मेरी हिंदी मां मेरी ऊर्दू मौसी –
दो भाषाएं जो हमे प्रिय लगती है मन को भाती है ,
दिल को लुभाती है ,
एक हिंदी है जो मां दूसरी ऊर्दू जो मौसी कहलाती है,
हिंदी की कविता , छंद, पद्य,गद्य का ज्ञान कराती है,
ऊर्दू मौसी हमे गजल, शेर ,शायरी, नज्म सुनाती है,
दोनो ही बड़ी अदभुत दोनो ही उत्तम,
दोनो का अपना अलग – अलग अंदाज है,
इसका ज्ञान रखने वाले पाते सरताज है,
मगर विडंबना देखो इस बदतमीज राजनीति ने भी ,
इन बहनों को अलग है कर डाला,
हिंदी को हिंदू ऊर्दू को मुस्लिम कह डाला,
कहता है भरत आपसे भाषाओं का कोई धर्म नही होता,
भाषाएं अपने आप में एक धर्म होती है,
भाषा का बस एक ही धर्म वही हमे सिखाती है,
भाषाए हमे मानव धर्म से अवगत कराती है,
भाषाओं के ज्ञान से ही मनुष्य आपस में संवाद कर पाता है,
कहता है गहलोत भले लगा लो सीमाओ पर लगाम,
किंतु रखो सदा भाषाओ का मान,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –