” मेरी सख्सियत “
मेरी सख्सियत भी कुछ मदिरे जैसी है,
एक बार नशा हो जाए तो लत लग जाती है |
अगर विपरीत प्रकृति हो तो,
नाम से ही आग लग जाती है |
– ज्योति
मेरी सख्सियत भी कुछ मदिरे जैसी है,
एक बार नशा हो जाए तो लत लग जाती है |
अगर विपरीत प्रकृति हो तो,
नाम से ही आग लग जाती है |
– ज्योति