मेरी शाम
“ शुक्रिया, नाम लव पे कोई तो आया
बेरुखी से चाहें पुकारा मुझे ,
खुशनसीबी मेरी , लव से निकला तेरे
वो बेगाना नहीं , मेरा नाम है I “
“ तोड़ के फूल अपने अरमान के
गज़रे में पिरो कर लाया हूँ मै ,
अपनी जुल्फ़ों को इनसे सजा ले अगर
मेरी वफ़ाओं का , वो इनाम है I “
“ हमसफ़र लाख तूफ़ां बने हो अगर
डूबना संग उनके गंवारा मुझे
साग़र सी मचलती निग़ाह में तेरी
ढलती जा रही , वो मेरी शाम है I
“ साथ चले दो कदम तो सहारा मिला
जैसे चंचल लहर को किनारा मिला
तपते दिल की ज़मीं पे बरसने लगी
जो घटा इश्क़ की , तेरा अहसान है I “