“मेरी वेदना”
असर्मथ हूँ आज मैं अपनी वेदना कह पाने में,
कैसे समझूँ मूक और मौन की भाषा,
इंसान हूँ शब्द और हाव-भाव ही पहचान पाती हूँ,
तेरी तकलीफ, तेरा दर्द और तेरा एकाकीपन ,
समय रहते जो समझ जाती, तो आज यूँ ही तुझे ना खो
जाती।
महसूस हुआ है आज ये ,मनुष्य कहता है वो सब कुछ जीत सकता है,
फिर क्यूँ ,आज मेरा आँचल तेरे स्पर्श से खाली है
तेरी साँसों को अब न महसूस कर पाऊँगी मैं कभी।
कैसे बताऊँ दुनिया को , कैसे समझाऊँ,
आज मेरे ममत्व का एक छोटा सा हिस्सा खाली-खाली है।
लिखने का मन नही आज ऐ मेरी दोस्त (कलम) ,
सच बता ,
मेरी भावनाओं को क्या तेरे लिखे शब्द, कागज पर उकेर पायेगें ?
जिन्होंने ना सहा होगा कोई भी दर्द जीवन में,
क्या वो मेरे इस बेपनाह दर्द को समझ पायेगें।
(प्रिय दोस्तों आप सब सिर्फ इस रचना को पढ़ लीजीए बस।कोई likes नही चाहती।)
#सरितासृजना