मेरी विशेषताएं
मेरी विशेषताएं
अपने लिए न जी करके,
औरों के लिए जीती हूं।
औरों को सुख पहुंचाने को,
स्वयं कड़वा घूंट पीती हूं।
उलझने बहुत है जीवन में,
औरों की सुलझाती हूं।
अपने उलझे रह गए धागे,
और उन के धागे संवारती हूं।
बनकर शीतल नीर जीवन में,
औरों की प्यास बुझाती हूं।
उदासी देख औरों के मुख की,
मक्खन सी पिघल जाती हूं।
देख उष्णता पर जीवन में,
शीतल समीर बह जाती हूं।
जीवन के पथरीले पथ से बह,
बन तटनी पांव पखारती हूं ।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश)