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5 Jul 2019 · 1 min read

मेरी वापसी के बाद-

आंखों में लिए अश्रुओं की बरसात,
दिल में समेटे सूने पन का अहसास।
आती है दरवाजे तक साथ – साथ ,
ऐसे छुपाती है सारा गम कि,
हो न पाए मुझको लेशमात्र भी अहसास।
लगाकर कलेजे से भरकर गहरी सांस,
मुझे देती है हौंसला आगे बढ़ने का,
खुद टूटती एक पल में सहस्त्रों बार।
ख्याल रखना कहकर असीम शक्ति उड़ेल देती है,
बदले में एक छवि ,उम्मीद दिल में सहेज लेती है।
कई दिनों तक समेटती नहीं जान बूझकर ,
मेरी वस्तुएं , पौशाकें और पहचान।
मेरे होने का अहसास उस फैले हुए सामान से करती रहती है।
मेरी मां मुझसे हर दस मिनट में ठीक से पहुंचे कि नहीं पूछती रहती है।
पढ़ी लिखी होकर भी वात्सल्य वश बावली बनी रहती है।
जानती है कि बच्चे बाहर जाएंगे ही कामयाबी के लिए,
फिर भी संभाल नहीं पाती खुद को पगली इस नासमझी के लिए।
कभी -कभी व्याकुलता इतनी हावी हो जाती है,
कि कुछ खाए बिना रोते रोते ही गलती से सो जाती है।
ऐसा नहीं आता नहीं कुछ समझ हमें,
हम भी तो अपना दिल मां के पास ही छोड़ आते हैं।
आज प्रतिस्पर्धा का दौर है ,
एक दूसरे से आगे जाने की अजीब सी होड़ है।
वर्ना कौन बेवकूफ़ है जो मां से दूर जाता है।
मां के आंचल में तो जन्नत का सा मज़ा आता है।
करती है असंख्य प्रार्थनाएं रेखा मेरी वापसी के बाद।

Language: Hindi
1 Like · 504 Views
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