मेरी लिखी मुझे ही पसंद नहीं
मेरी लिखी मुझे ही पसंद नहीं
मेरी लिखी मुझे ही पसंद नहीं
आप को क्या सुनाऊ,पथिक ।
कहा पोस्ट ,कहा अपलोड करू
बड़ी मुश्किल में हूं , पथिक ।
सोच – सोच कर बुरा हाल है
कोई ढ़ंग का तो रचना हो , पथिक।
लिख कर तो कागज भरा पड़ा
आप को क्या सुनाऊ, पथिक ।
पसंद हो या ना पसंद हो
लिखा तो हमने ही , पथिक ।
अब भी है , दावात बचा
ढंग का तो सोच लू ,पथिक ।
पथिक था ,तो सुना दिया
नहीं तो साहस कहा था, पथिक ।
गौतम साव