मेरी लिखावट
मै लिखता हूं महज एहसासों को,
मुझसे कल्पना नहीं की जाती,
मुझे सोचकर लिखना पसंद है,
मैं कहानियों में खुद को नही उतार पाता,
कहानियां कभी सत्य है तो कभी मिथ्या है,
मगर एहसास कभी झूठे नही होते,
वो अंकुरित होते है मन के आवरण पर,
निश्छल,निर्भीक,स्वछंद,आजाद से,
एहसास होते हैं कुछ कुछ,
बहती निर्मल नदी के समान,
कि जब जहां से गुजरे ,
हर रिक्त स्थान को भरते चले गए…!
ख़ैर…
विमल….