— मेरी रफ़्तार —
इक रफ़्तार से चलना
अच्छा सा नहीं लगता
रूक के बस फिर रूक जाना
मुझ को अच्छा नहीं लगता
अपनी रफ़्तार से
जीत लेता हूँ जहान मैं
मुझ को किसी को दर्द देना
अच्छा नहीं है लगता
ठोकर भी लगी
जमीन पर गिर भी गया
गिर कर उठ न पाऊँ
ऐसा कभी अच्छा नहीं लगता
पंख लगा कर उड़ जाऊं
बेवजह के ख्वाब बनाऊँ
धरती का इंसान हूँ मैं
आसमान में उड़ना अच्छा नहीं लगता
अजीत कुमार तलवार
मेरठ